Monday, May 18, 2020

अपनी ताकत से परेशान इंसान

लोग अक्सर बहुत परेशान रहते हैं। उनकी परेशानियों का कारण, बाहरी से अधिक आंतरिक होता है। मानसिक तनाव, डर, ईर्ष्या, इंसान को खोखला कर देती है और उसे प्रताडित करती है। आपको हर दूसरा इंसान ऐसा मिल  जाएगा, जो किसी न किसी कारण परेशान होगा। जब आप उसकी परेशानियों का कारण जानेंगे तो पाएंगे, कि उसकी परेशानी, वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है। उसने ऐसी परेशानियों को अपने सिर पर लाद रखा है जो वास्तविक दुनिया की उपज ही नही हैं। लेकिन ऐसा क्यों है। क्यों इंसान को इतनी समस्याए हैं। और हमने ऐसा क्यों कहा है कि इंसान अपनी ही ताकत से परेशान है।
जब प्रकृति नें मनुष्य को बनाया , तब उसे सभी जीवों में सबसे बेहतर खूबियों से नवाजा। लेकिन उस समय तक इंसान का शरीर या दिमाग, आज की तरह नहीं था। आज की तरह विकसित दिमाग और शरीर पाने के लिए इंसान ने लाखों सालों तक प्रयत्न किया। निरंतर विकसित होकर, लगातार कडे अभ्यास और प्रयास से हमने शरीर और दिमाग को विकसित किया। हमने दो महान शक्तियों को समय के साथ प्राप्त किया। ये दो शक्तियां हैं, स्मरण शक्ति और कल्पना शक्ति। स्मरण शक्ति वो है जो हमें पुरानी घटनाओं, सूचनाओं को एकत्र करने की क्षमता प्रदान करती  है। कल्पना शक्ति वो है, जो हमें किसी भी ऐसी घटना अथवा सूचना, जो अस्तित्व में नहीं है, पर विचार करने की क्षमता प्रदान करती है। स्मरण शक्ति के प्रयोगों से तो हम सभी परिचित हैं। अपना नाम, परिचय, परिवार, देश, भोजन, भाषा, व्यापार, शासन आदि सभी चीजें मुख्यतः स्मरण शक्ति से ही संभव हैं।  बात करें कल्पना शक्ति की तो नए आविष्कार, कला, संगीत , लेखन, मनन आदि ऐसी चीजे हैं जो कल्पनाशक्ति के सहारे ही की जा सकती है। आज की दुनिया बनाने में, और जो दुनिया हम आगे बनाएंगे, वो इन दोनों शक्तियों के सहार ही संभव है। यदि ये दो शक्तियां इंसान से छीन ली जाएं, तो इंसान में और किसी साधारण जीव में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। अब प्रश्न यह उठता है कि जब हमारे पास इतनी महान शक्तियां उपलब्ध हैं, जिनके सहारे हमने इतनी बेहतर दुनिया बना ली है, तो फिर हमें इतनी समस्याएं क्यों सामने आती हैं।
दरअसल, जब हमारे पास शक्तियां आती हैं, तो साथ में जिम्मेदारियां भी आती हैं। यदि हम उन जिम्मेदारियों का पालन सही प्रकार से नहीं करते हैं, और उन शक्तियों का सदुपयोग करने में असफल रहते हैं, तो हम न केवल स्वयं के लिए, अपितु दूसरों के लिए भी विनाश का कारण बन सकते हैं। हमने इंसान नें कल्पना शक्ति और स्मरण शक्ति को, लाखों बर्षों के प्रयास से प्राप्त तो कर लिया है, लेकिन उनका सदुपयोग करना अभी पूरी तरह नहीं सीख पाया है। इनका दुरूपयोग करने के कारण दुःख प्राप्त करता है। इसका उदाहरण देखने का प्रयास करते हैं। मानिए कि आज से पांच साल पहले , आपके किसी परिचित नें आपको सार्वजनिक रूप से अपमानित किया, और आप के साथ हाथापाई भी की। उस समय आप ने संयम रखा और शांत रहे। लेकिन उस अपमान ने आपको दुःख पहुंचाया। वो घटना पांच साल पहले घटित हो गई। आज पांच साल बाद आप उस घटना को याद करते हैं। उस घटना को याद करते ही, आप को गुस्सा, और दुःख का अनुभव होता है। आप का रक्तचाप बढ जाता है, और ह्रदय की धडकन बढ जाती है। आपको तनाव होता है, और आप परेशानी का अनुभव करते हैं। आपके साथ घटित हुई पांच साल पुरानी घटना को आप याद करके आज भी दुःखी हो रहे हैं। इसका अर्थ है कि आप अपनी स्मरण शक्ति का दुरूपयोग कर रहे हैं। यदि आप स्मरण शक्ति का सदुपयोग कर रहे होते, तो आप इस बेकार घटना को अनावश्यक याद करने के स्थान पर कुछ सकारात्मक उपयोग करते। अब इससे आगे विचार कीजिए। आपने वो घटना याद कर ली। अब आप सोच रहे हैं, कि काश मैं उस समय, उस दुष्ट को सबक सिखा देता।. काश मैं उसे वहीं पर ठीक कर देता। उसके कंधे पर डंडे से प्रहार कर देता। या फिर मैं उसके अपमान का जबाब, इस तर्क से देता। मैं उसकी सार्वजनिक निंदा कर देता। इस तरह से अनावश्यक विचार करके आप अपनी कल्पना शक्ति का दुरूपयोग कर रहे हैं। इस दुरुपयोग के कारण, आप को और ज्यादा तनाव, और कष्ट का सामना करना पड रहा है। आपका दुःख, पछतावे के साथ मिश्रित होकर आपको और ज्यादा कष्ट देता है। आपको अस्थिर बनाता है, तथा आपको वह दुःख पहुंचाता है, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है। कल्पनाशक्ति के दुरूपयोग और उससे उत्पन्न कष्ट का एक और उदाहरण देखते हैं। मान लीजिए आप एक जंगल में गए। वहां रात का अंधेरा है। आप पेड के पास से गुजर रहे हैं। तभी पेड पर लटक रही बेल, आपके कंधे से टकराती है। उसी समय एक मधुमक्खी आपके कंधे पर काट लेती है। आपको दर्द होता है। आप कल्पना करते हैं, कि वो बेल एक सांप है, और सांप नें आपको काट लिया। आप दर्द से कराहते हैं। आप पसीना पसीना हो जाते हैं। आपको सामने मृत्यु दिखाई देती है। आपके हाथ-पैर कांपने लगते हैं। आप गिर जाते हैं। कल्पना शक्ति के दुरूपयोग नें आपको भयानक कष्ट दिया। तभी अचानक कोई लालटेन लेकर आपके पास आता है, और आप लालटेन के प्रकाश में देखते हैं कि ये तो एक बेल है, और आपको किसी सांप ने नहीं, अपितु मधुमक्खी नें काटा है। यह देखकर आपको राहत मिलती है। उस लालटेन के प्रकाश ने आपकी कल्पनाशक्ति के प्रभाव को कम कर दिया और आपको राहत मिल गई। दैनिक जीवन में देखें तो आपके जीवनसाथी के द्वारा धोखे की कल्पना, आपके पडोसी द्वारा आपकी हत्या की योजना की कल्पना, आपके बॉस द्वारा आपको नौकरी से निकालने की कल्पना, आदि कुछ ऐसी कल्पनाए हैं, जो आप करते हैं, और अनावश्यक दुख पाते हैं। वहीं किसी के द्वारा अपमानित होने का स्मरण, किसी परिजन को खोने का स्मरण, व्यापार में घाटे का स्मरण, किसी गलती का स्मरण, कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो दर्शाते हैं कि आपने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग किया और आप अनावश्यक दुःख प्राप्त कर रहे हैं। आप अपनी शक्तियां ही आपके विनाश का कारण बन रही हैं। 
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या इससे बचा जा सकता है। बिल्कुल  इससे बचा जा सकता है। आपको इसके लिए , अपनी शक्तियों का सदुपयोग करना सीखना होगा। जब आप कल्पना शक्ति, और स्मरण शक्ति का सदुपयोग करना सीख जाएंगे, तो आप अपने मस्तिष्क का अधिकतम उपयोग करना सीख जाएंगे। उस समय आप न केवल अपना अपितु औरों का भी जीवन बेहतर बना पाएंगे। कल्पनाशक्ति का सदुपयोग करके ही हमारे महान आविष्कारकों ने आविष्कारों की कल्पनाएं की, और उन्हे साकार किया। बेहतरीन भवन, यंत्र, महान पुस्तकें, कला, फिल्म, संगीत, हाईवे, पुल , प्रतिमाएं आदि सभी कल्पनाशक्ति के सदुपयोग से ही संभव हो सकी  हैं। आप प्रयास करें कि इन शक्तियों का सदुपयोग कर सकें। याद रखें कि
यदि आपकी ही शक्तियां आपके विनाश का कारण बनती हैं, तो संसार में सिवाय आपके मस्तिष्क के, जो इन शक्तियों शक्तियों को नियंत्रित कर सकता है, कोई आपको नहीं बचा सकता।

6 comments:

  1. सदैव कुमारMay 18, 2020 at 10:15 AM

    निज को तू जान जरा शक्ति पहचान तेरी आत्मा में छुपा भगवान है रे
    मनुष्य तू बड़ा महान है भूल मत

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