सोशल मीडिया की जब शुरूआत हुई तो इनमें गिने चुने नाम ही शामिल थे। कुछ ही समय में यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर ने अच्छा नाम कमाया। समय के साथ-साथ कुछ और भी प्लेटफॉर्म्स सामने आने लगे जैसे इंस्टाग्राम, स्नैटचैट, व्हाट्सएप, QQ और भी बहुत। लेकिन इन सब की दौड में कहीं न कहीं ऐसा लगने लगा था कि भारतीय डेवलपर पीछे छूटते जा रहे थे। जितने भी प्रसिद्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स प्रचलित थे, उनमें से अधिकांश भारतीय नहीं थे। इनके भारतीय नहीं होने का बडा नुकसान यह भी था कि इनके सर्वर्स, टीम सभी भारत से बाहर स्थित थे, और इनको नियमित करना कठिन था। पिछले कुछ समय में देखा गया कि ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स ने बहुत से राष्ट्रों की सरकारों के ऊपर अपने निर्णय थोपना शुरू कर दिया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट किया जाना इसका सबसे बडा उदाहरण था। इसके बाद बहुत से देशों की सरकारों से इनके मनमुटाव होने लगे। भारत में भी इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के एक्शन विवादित रहे। समय के साथ अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने तो भारत सरकार के कानूनों की अनुपालना करने का वायदा किया, लेकिन ट्विटर आखिरी समय तक अडा रहा। हालांकि आगे क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है, समय के सात पता चल ही जाएगा।
पिछले कुछ समय में भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी सामने आए। कुछ इनमें से चल निकले तो कुछ चल बसे। Hike, ShareChat, DailyHunt, Koo App, KooTweet आदि। इनमें से Hike को बंद करना पडा था। बाकी के प्लेटफॉर्म अभी भी काम कर रहे हैं। इनमें मुझे दो एप बेहतर लगे। पहला है Koo App और दूसरा है KooTweet.।
KooApp को ट्विटर के विकल्प के तौर पर पेश किया जा रहा है। भारत के अनेकों सेलिब्रिटीज, पॉलिटिशियन, ब्रांड इसपर आ चुके हैं। हाल ही में नाईजीरिया में ट्विटर बैन किये जाने के बाद वहां की सरकार ने अपना आधिकारिक koo हैंडल बनाया। यह इस भारतीय एप के लिए गर्व की बात है।
KooTweet एक और एप है। इसे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम तीनों के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें दिए जाने वाले फीचर्स इन तीनों प्लेटफॉर्म्स के मूलभूत फीचर्स का विकल्प उपलब्ध करवाते हैं। इनका कॉन्सेप्ट काफी अच्छा है। लेकिन इस प्लेटफॉर्म को शुरू हुए कुछ ही समय हुआ है और इनके संघर्ष की कहानी अभी शुरू हुई है। KooTweet के पास शुरूआती समय में न केवल संसाधनों का अभाव है, बल्कि बजट की भी समस्या है। इसके चलते बेहतरीन कॉन्सेप्ट वाला एप होते हुए भी इनको संघर्ष करना पड रहा है।
KooTweet एक विशेषता मुझे यह अच्छी लगी कि ये लोगों को सरकार द्वारा जारी किए गए पहचान पत्रों के आधार पर वेरिफिकेशन टिक उपलब्ध करवाते हैं। इससे लाभ यह होगा कि भविष्य में यदि कोई भी यूजर, कोई विवादित पोस्ट करता है तो पता चल सकेगा कि वो असली यूजर है अथवा फर्जी, क्योंकि वास्तविक यूजर के पास अपना वेरिफिकेश टिक होगा।
हाल ही में इन्होने टीम के विस्तार के लिए एक खुला प्रस्ताव भी रखा है। इनका प्रस्ताव है कि शुरूआती तौर पर जो इनसे जुडकर कार्य करना चाहे, कर सकता है। शुरूआत में जो भी इनकी टीम का हिस्सा बनेगा, उनको ये भुगतान नहीं कर पाएंगे, लेकिन जैसे ही इनको आय प्रारंभ होगी, ये अपनी टीम को पर्याप्त भुगतान भी करेंगे। ऐसे में अगर आपके क्षमता है इनकी टीम के साथ जुडकर कार्य करने की, तो आप भी इनसे संपर्क करके इनके साथ कार्य कर सकते हैं।
(इस लेख में दी हुई सामग्री मेरी अपनी विचारधारा पर आधारित है। मैं औपचारिक तौर पर इस व्यवसाय के साथ जुडा हुआ नहीं हूं। यह पेड प्रमोशन नहीं है, केवल जानकारी के उद्देश्य से यहां दिया जा रहा है।)