Saturday, May 24, 2025

सरकारी शिक्षण संस्थानों में सुविधाएँ: दिखावा या हक़ीकत?

 जब भी दुनिया भर के टॉप शिक्षण संस्थानों की चर्चा होती है अथवा विश्व की टॉप 50 यूनिवर्सिटीज की सूची देखी जाती है तो भारत के शिक्षण संस्थानों का नाम उस सूची में देखने के लिए कष्ट का सामना करना पडता है। PIB India  के 09 नवंबर 2024 के पोस्ट1 के अनुसार  QS World University Rankings: Asia 2025 में दुनिया की प्रमुख 50 संस्थानों में केवल IIT Delhi और IIT Bombay ही सम्मिलित हैं। जबकि प्रमुख 20 संस्थानों की सूची देखी जाए तो एक भी भारतीय संस्थान नहीं है। दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र और दुनिया की सबसे बडी अर्थव्यव्थाओं में से एक, दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी बनाने वाले देश में उच्च शिक्षा का यह स्तर न केवल चिंताजनक है, बल्कि गंभीर विचारणीय भी है। Quality concerns in higher education in India 2 के अनुसार भारत के संस्थानों में मूलभूत सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य सेवा, प्ले ग्राउंड, शौचालय, पुस्तकालय, प्रयोगशाला (लैब्स) आदि तक विद्यार्थियों की पहुंच भी नहीं हो पाती है। उपलब्ध संसाधनों तक विद्यार्थियों की पहुंच को बलपूर्वक रोका जाना भी इसकी बडी वजह है।

कल्पना कीजिए, एक सरकारी कॉलेज में नया स्मार्ट क्लासरूम बना है। दीवारों पर चमकदार पोस्टर लगे हैं, प्रोजेक्टर और कंप्यूटर नए-नए चमक रहे हैं। लेकिन जैसे ही कोई छात्र वहाँ जाने की कोशिश करता है, चपरासी सख़्ती से रोक देता है— "साहब ने मना किया है, खराब हो जाएगा!"

यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि देश के सैकड़ों सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की सच्चाई है। जिन सुविधाओं का बजट छात्रों के नाम पर पास होता है, वे या तो कागज़ों में रह जाती हैं, या फिर ताले में बंद कर दी जाती हैं।


"संभालकर रखने" की मानसिकता

कई संस्थानों में लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब या स्पोर्ट्स इक्विपमेंट सिर्फ़ निरीक्षण के दिन दिखाने के लिए होते हैं।  Analyzing the Culture of Corruption in Indian Higher Education 3  के अनुसार निरीक्षणकर्ताओं को श्रद्धानुसार अमाउंट दिया जाता है। अनेकों बार निरीक्षण के दौरान कृत्रिम तरीके से भवनों, लैब्स या अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिखाया जाता है तो अनेको बार पूरी तरह भिन्न भवन का निरीक्षण करवा दिया जाता है।
निरीक्षण काल के बीत जाने पर सुविधाओं का प्रयोग नही करने देने जाने को लेकर अधिकारियों का तर्क होता है:

·        "छात्र गंदा कर देंगे!"

·        "मशीनें खराब हो जाएँगी!"

·        "हमें मेन्टेनेंस का झंझट उठाना पड़ेगा!"

सवाल यह है— अगर ये सुविधाएँ छात्रों के लिए नहीं हैं, तो फिर बनाई क्यों गईंक्या सरकारी पैसे का उद्देश्य सिर्फ़ "दिखावे की शिक्षा" देना है?


भ्रष्टाचार का खेल

कहीं-कहीं तो हालात और भी भयावह हैं। फंड का एक बड़ा हिस्सा कमीशन खाने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में चला जाता है। नतीजा?

·        खराब गुणवत्ता वाले उपकरण जो कुछ ही दिनों में बंद पड़ जाते हैं।

·        छात्रों को दोष देना जब वे इनका उपयोग करने की माँग करते हैं।

·        निरीक्षण समितियों के द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार

Indian Express में 2 फरबरी 2025 को प्रकाशित एक समाचार के अनुसार NAAC निरीक्षण समिति में भ्रष्टाचार के मामले में कमेटी चेयरमैन और एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर समेत 10 लोगों पर कार्रवाही की गई।


अधिकारियों की सुविधाजनक दुनिया

जबकि छात्र टूटी कुर्सियों पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं, अधिकारी एयर-कंडीशंड कमरों में बैठकर फाइलें खिसकाते रहते हैं। उनकी प्राथमिकता होती है:

1.    पेंशन सुरक्षित रखना

2.    ऊपरवालों को खुश रखना

3.    छात्रों की शिकायतों को दबाना

शिक्षा का उद्देश्य? वह तो सिर्फ़ फाइलों में एक "लक्ष्य" बनकर रह जाता है।


क्या हो सकता है समाधान?

1.    छात्रों के द्वारा मांग किए जाने पर उनके नियमों की पालना के नाम पर अनुचित दबाब बनाकर चुप कराए जाने की परम्परा को बंद किया जाना चाहिए।

2.    सोशल मीडिया दबाव: ट्विटर, एमएचआरडी (शिक्षा मंत्रालय) के हैंडल्स पर शिकायतें वायरल करें।

3.    जनता की निगरानी: मीडिया और स्थानीय नेताओं को ऐसे मामलों पर सवाल उठाने होंगे।

4.    डिजिटल लॉग: हर सुविधा का उपयोग रियल-टाइम ट्रैक हो, ताकि दुरुपयोग रोका जा सके।


निष्कर्ष: शिक्षा सिर्फ़ भवन नहीं, संसाधनों का सदुपयोग है

जब तक अधिकारी यह नहीं समझेंगे कि सुविधाएँ बनाने का मतलब सिर्फ़ "इनॉग्युरेशन फोटो" लेना नहीं, बल्कि उन्हें चलाना भी है, तब तक सरकारी शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आएगी। छात्रों को चाहिए कि वे "हमारा हक़" माँगने से कभी न हिचकिचाएँ।

आख़िरकार, जिन संस्थानों में आज छात्रों को बैठने की जगह नहीं मिलती, वहाँ कल देश का भविष्य कैसे बैठेगा?

References

     1.    https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2072018

     2.    Srinivas, R. (2023). Quality concerns in higher education in India. IRE Journals, 6(8), 69–72. ( Link - https://www.irejournals.com/formatedpaper/1704083.pdf )

      3.    Tierney, W. G., & Sabharwal, N. S. (2016). Analyzing the culture of corruption in Indian higher education. International Higher Education, (87), 6–7. https://doi.org/10.6017/ihe.2016.87.9495 (Research Gate link -   https://www.researchgate.net/publication/313422033_Analyzing_the_Culture_of_Corruption_in_Indian_Higher_Education  )

     4.    https://www.qs.com/insights/articles/rankings-released-qs-world-university-rankings-asia-2025/  

      5.  https://indianexpress.com/article/india/naac-inspection-committee-chairman-jnu-professor-cbi-corruption-case-held-9813073/

        6. https://www.thehindu.com/news/national/karnataka/naac-bribery-case-university-debarred-for-five-years-from-accreditation-peer-team-debarred-for-life-from-naac-activities/article69196424.ece

        7.  https://en.wikipedia.org/wiki/NAAC_rating_bribery_case  

-


-        -Saumy Mittal

        (Reseach Scholar, University of Rajasthan)

1 comment:

  1. Totaly agree with this👍
    Such a bitter truth👏

    ReplyDelete

कावेरी इंजन - भारत का स्वदेशी फाईटर जेट इंजन

 सारांश-  किसी भी देश की सुरक्षा के लिए वर्तमान में फाईटर जेट अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में चर्चा की गई है कि फाईटर जेट के लिए इंजन का क्...