Monday, May 18, 2020
अपनी ताकत से परेशान इंसान
Saturday, May 16, 2020
समाज से डरी बच्ची
Monday, May 11, 2020
TikTok Vs YouTube का झगडा... क्या मैं परवाह करूं?
Saturday, May 9, 2020
मातृ दिवस या फिर मात्र दिवस
Thursday, May 7, 2020
महामारी
महामारी
महामारी का काल है, या तेरी ही माया है।
अपनी प्यारी धरती पर, ये कैसी विपदा लाया
है।।
कैसे आउं तेरे दर पर, तेरे सब पट बंद हैं।
महामारी के कष्ट काल में, मानव की बुद्धि
कुंद है।।
मानव से रूठ गया है तू, या कलयुग विकट अब
खिलता है।
तूने कहा था गीता में, तू सभी जगह पर मिलता
है।।1।।
गुरू है तू, ज्ञान है तू।
मानव का अभिमान है तू।।
संपत्ति है तू, विपत्ति है तू।
कंद-मूल और पत्ती है तू।।
योग है तू, संयोग है तू।
बिछुडों का वियोग है तू।।
अपकार है तू, उपकार है तू।
जीवन का उपहार है तू।।2।।
प्रेत भी तू है, खेत भी तू है।
सागर की ये रेत भी तू है।।
प्रेम भी तू है, रार भी तू है।
प्रलय का हाहाकार भी तू है।।
ताप भी तू है, आंच भी तू है।
तांडव का महानाच भी तू है।।
सौम्य भी तू है, काल भी तू है।
कालों का महाकाल भी तू है।।3।।
तू महाचन्द्र, तू श्याम विवर।
तू ही इस पृथ्वी का दिनकर।।
तू महात्वरित, तू महावेग।
तू ही कण कण का संवेग।।
तू ही शंका, तू महानिवारण।
तू गुरूत्व के बल का कारण।।
तू महानियम, तू ही खंडन।
तू नाभिक का महाविखंडन।।4।।
तू जीत में, तू हार में।
तू प्रेमी के प्यार में।।
तू एक में, तू खंड में।
तू शासक के दंड में।।
तू स्नेह में, तू रोष में।
तू प्रजा के आक्रोष में।।
तू राष्ट्र में, तू ग्राम में।
तू वीरों के संग्राम में।।5।।
मै मानव था महामूर्ख,
मैं मद में होकर चलता था,
कीट-पतंगे-जीवों को,
निज पैरों तले कुचलता था।
सागर सोखे-धरती चीरी-
पर्वत तोड-हवा बिगाडी,
और मिले मुझे और मिले,
मेरा मन यही मचलता था।।6।।
जीवों पर अत्याचार किया,
जुल्म विकट बरपाया था,
जिन्दा भूने और उबाले,
जीवित ही उन्हे पकाया था।
खालें खींचीं-आंख निकाली-
सींगें तोडे-आंत निकाली,
वो चीख रहे-चीत्कार रहे,
बिन सोचे उन्हे सताया था।।7।।
नाभिक तोडे-विस्फोट किए।
मानस में अपने खोट लिए।।
नदियां रोकी-बांध लगाए।
गले तो उनके सोख दिये।।
बंदूक बनाई-तोप सजाईं।
और चलाए अणु हथियार।।
गर्दन काटी-रक्त बहाए।
और मिटाए घर परिवार।।8।।
शाप उन्ही का लगा मुझे है।
लगा उन्ही का है अभिशाप।।
लौट मुझी पर आएंगे।
मेरी करनी - मेरे पाप।।
तेरे पथ से मैं भटक गया।
तुझे चुनौती दे डाली।।
झूठी शक्ति के मद ने।
बुद्धि तो मेरी हर डाली।।9।।
मै महामूर्ख, मै महानीच।
मै महाधूर्त, मै हूं गलीच।।
मै महातुच्छ, मै महापापी।
छुरी छुपाकर माला जापी।।
पर शरण में तेरी आया हूं।
हे मालिक मेरे पाप हरो।।
तेरी ही तो संतान हूं मैं।
हे मालिक मुझको माफ करो।।10।।
करो दया हे दयावान।
करो कृपा हे कृपानिधान।।
मानव की तुम रक्षा करो।
रक्षा करो हे महाबलवान।।
मुझको तुम सद्बुद्धि दो।
अपने पथ का देदो ज्ञान।।
मानव की तुम रक्षा करो।
हे त्राहिमाम हे त्राहिमाम।।11।।
Monday, May 4, 2020
सख्त शिक्षक की भूमिका निभाता लॉकडाउन
कहते हैं कि हर समस्या अपने साथ कोई न कोई शिक्षा लेकर आती है। शायद कोरोना भी हमारे लिए कुछ सीख लेकर ही आया होगा। कोरोना ने मनुष्य को यह सोचने पर विवश किया है कि जीवन के जिन आभासी सुखों के पीछे हम मनुष्य भाग रहे हैं, वो कितना स्थाई है। हम मानव अपने विकास को लेकर अहंकार में रहते हैं। हम प्रकृति को चुनौती देने का प्रयास करते हैं लेकिन जब प्रकृति अपनी प्रतिक्रिया देती है तो हम असहाय हो जाते हैं। मानव का मूल स्वभाव है किसी भी संकट से झूझना और अंततः उससे उबर जाना। आशा है कि मानव अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करते हुए इस संकट से भी निपट लेगा। पिछले कुछ दशकों में संचार और यातायात के क्षेत्र में हमने क्रांति ला दी है। संचार के साधनों के माध्यम से दुनिया को एक छोटे शहर की तरह तो बना दिया है लेकिन इसके साथ आने वाले खतरों का आंकलन करने में हम विफल रहे। महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक 'हिंद स्वराज' में लिखा था कि रेलगाडी दुष्टता फैलाती है। आज के दौर में रेलगाडी का साथ हवाईजहाज आदि ने दिया है और कोरोना उस दुष्टता के रुप में फैल गया है। हालांकि आज के दौर में जीवन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए यातायात के साधनों का प्रयोग आवश्यक है, लेकिन इससे उत्पन्न खतरों से लडने की तैयारी भी आवश्यक है।
जब हम इस महामारी से निपटने में सक्षम हो जाऐंगे तो हमारे लिए आवश्यक होगा कि हम ऐसी व्यवस्था करें कि यदि भविष्य में ऐसी कोई भी समस्या आने पर देश में सभी प्रकार की सीमाओं को सरलता से बंद की जा सके। अर्थात ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि यदि कोई संकट आता है तो किसी गांव, जिले, शहर अथवा राज्य की सीमाओं को पूरी तरह बंद किया जा सके। ऐसा करने से किसी भी प्रकार की महामारी को किसी क्षेत्र में ही रोका जा सकेगा। हमने देखा था कि कोरोना संकट में अनेको लोगों ने सकारात्मक योगदान दिया, लेकिन बडी संख्या में लोग ऐसे भी थे जिनके कारण स्थिति खराब हुई। ये लोग सरकारों के लिए चुनौती बन गए थे। हमें हमारे लोगों को इस तरह प्रशिक्षित करना होगा कि ऐसे किसी भी संकट में वो न केवल जिम्मेदाराना व्यवहार करें बल्कि संकट से निपटने में सरकार का सहयोग भी करें। जब हर व्यक्ति जिम्मेदार नागरिक की तरह व्यवहार करेगा तो हम किसी भी समस्या को आसानी से पराजित कर सकें। समस्या हमारे सामने यह आई थी कि लॉकडाउन लगाने पर अर्थव्यवस्था के साथ साथ शिक्षण एवं चिकित्सा सुविधाएं भी ठप हो गईं थी। हमें इस तरह से अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करना होगा कि हम इस तरह के संकट में भी अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखें तथा हर व्यक्ति को अत्यावश्यक वस्तुएं यथा भोजन आदि की पूर्ति करवा सकें।
देखने में आया था कि कुछ लोगों ने ऐसे मौके पर एकदम गैरजिम्मेदाराना हरकतें की थीं। कुछ लोगों ने अपने सामूहिक कार्यक्रमों को बिल्कुल भी रद्द नहीं किया था। कुछ दुकानदारों नें मौके का गलत फायदा उठाते हुए कीमतें बढा दी थीं। कईं स्थानों पर वहां के स्थानीय निवासियों नें चिकित्साकर्मियों एवं सुरक्षाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया था। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए न केवल दोषियों को कडी सजा का प्रावधान होना चाहिए बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाई जानी चाहिए ताकी लोग ऐसा करने से बचे।
इस बार लॉकडाउन के कारण तथा कुछ अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों के चलते कच्चे तेल की कीमतें असाधारण रूप से गिर गईं। इसके अतिरिक्त बहुत सी अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों ने उत्पादन इकाईयों को एक देश से दूसरे देश में स्थानांनतरित किया था। ये दोनो ही भारत के लिए बडे अवसर थे। हम इन अवसरों का लाभ नहीं उठा पाए, बल्कि कुछ दूसरे देशों ने इनका लाभ उठाया।
इस महामारी में कुछ देश ऐसे थे जो एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे थे, वहीं भारत ऐसा देश था जिसने आरोप प्रत्यारोप से दूर रहते हुए न केवल भारतवासी बल्कि हर मानवमात्र के भले के लिए पुरूषार्थ की पराकाष्ठा की। विश्व को भारत से शिक्षा लेनी चाहिए।
कहने को तो ये महामारी हमें बहुत कुछ सिखा सकती है, लेकिन ये हम लोगों पर निर्भर करता है कि हम इससे कुछ सीखते हैं या पहले से भी ज्यादा गैरजिम्मेदार बनते हैं।
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