वो
ए.सी. में बैठे हैं
हम
सडकों पर तपते हैं।
वो
कारों में घूम रहे
हम सिटी बसों में चलते हैं।।
वो अपनी
जिदों पर अडे रहे
वो
मनमानी करते हैं।
वो
परीक्षाएं करवाएंगे
छात्र
भले ही मरते हैं।।
वो ए.सी.
ऑफिस बैठ कर
हमें
कुएं में धकेल रहे।।
हम
लाचार-बेचारे हैं
कोरोना
का दंश झेल रहे।।
वो बिना
सडक पर आकर के
हमकों
ज्ञान बघार रहे।
छात्र
पहले से ही मरे हुए हैं
य़े और
उन्हे हैं, मार रहे।।
सरकार
अकड अब छोड दो
मत हम
पर अत्याचार करो।
हमने
तुमको सत्ता दी है
मत लौट
हमीं पर वार करो।।
बहुत ख़ूब
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