Tuesday, November 3, 2020

'रानू मंडल' से 'बाबे के ढाबे' तक

 आपको याद होगा कि कुछ पिछले साल 'रानू मंडल' नाम की एक महिला का वीडियो वायरल हुआ था। वह एक रेलवे स्टेशन पर लता दीदी का एक गाना प्यार का नगमा गा रही थी। उसमें रानू की आवाज काफी अच्छी लग रही थी, और वह वीडियो अचानक सभी जगह छा गया। लोगों को उस समय तक रानू मंडल का नाम नहीं पता था। वो केवल वीडियो को देखकर ही यह दुआ कर रहे  कि कोई गरीब महिला है, जो टैलेंटेड है, और उसे स्टेशन पर गा गाकर अपना गुजर बसर करना पड रहा है, काश इसे कहीं मौका मिले तो इसकी जिंदगी बदले।



(Photo From: Laughing Colors)
 तभी खबर आई कि हिमेश रेशमिया ने उस महिला को ढूंढ निकाला और यह भी घोषणा की कि वो उसे गाने का मौका देंगे। कुछ दिन बाद मार्केट में दो गाने आए जिनके कुछ हिस्सों में रानू मंडल की आवाज थी। आलम यह हो गया था कि जगह जगह रानू मंडल की आवाज में 'तेरी-मेरी-तेरी-मेरी-तेरी-मेरी-कहानी' सुनाई पडने लगा।लोग हिमेश रेशमिया की दरियादिली और रानू मंडल की बदली किस्मत की तारीफ कर ही रहे थे कि अचानक एक वीडियो और वायरल हुआ। इस वायरल वीडियों में दिखाई दे रहा था कि रानू मंडल नें अपनी एक फैन (या शायद मीडिया) के साथ अशिष्टता की, और अपने 'Celebrity' होने की अकड दिखाई। यह वीडियो कितना सच था, कितना झूठ, यह तो हमें नहीं मालूम, लेकिन इस वीडियो के बाद रानू मंडल की जिंदगी दुबारा बदल गई।जो लोग सोशल मीडिया पर उसे 'Hero' बना चुके थे, वही अब रानू के बदले रवैये को लेकर आलोचना करने लगे। जिस सोशल मीडिया के निवासियों ने उसे काम 'फेमस' किया था, उन्होने ही उसे 'डिफेम' कर दिया। जितनी जल्दी रानू मंडल सफलता की सीढी चढी थी, उतनी जल्दी ही वापस उतरना पडा। कुछ समय पहले खबर आई थी कि रानू के पास फिलहाल कोई काम नहीं है, और उसे वापस संघर्ष करना पड रहा है। 

ऐसा ही कुछ मामला 'बाबा का ढाबा' से हुआ। दिल्ली के मालवीय नगर में एक बुजुर्ग दंपत्ति एक ढाबा चलाते हैं। दंपत्ति की आयु अस्सी बर्ष के आसपास है। लॉकडाऊन से पहले तक वो अपना गुजारा करने लायक कमा लेते थे। ल़ॉकडाउन और कोरोना के चलते उनकी कमाई अचानक गिर गई। उन्ही के एक इंटरव्यू के अनुसार उनका गुजारा भी नहीं हो पा रहा था।कईं बार  उन्हे लागत निकालने में भी कठिनाई होती थी।एक यूट्यूबर है जो फूड व्ल़ॉगिंग करते हैं। फूड व्लॉगिंग का मतलब है कि वो अलग अलग भोजनालयों पर जाते हैं। वहां का खाना चखते हैं। उसके बारे में लोगों को बताते हैं। अगर भोजनालय के मालिक को सहायता की जरूरत होती है, तो वो लोगों को उसकी मदद की अपील करते हैं। संयोग ऐसा हुआ कि अक्टूबर की एक दोपहर को ये यूट्यूबर महोदय इस बाबा के ढाबा पर पहुंच गए। उन्होने इनसे बातचीत की। बातचीत कें दौरान पता चला कि ये बाबा बडी कठिनाई से गुजर रहे हैं। यूट्यूबर को लगा कि इस बारे में वीडियो बनाई जानी चाहिए। (ये हमारी निजी राय है कि यूट्यूबर ने सोचा होगा कि इससे बाबा की मदद भी हो जाएगी, और चैनल के लिए कंटेंट भी मिल जाएगा।) तो यूट्यूबर ने बाबा की वीडियो रिकॉर्ड की। उस वीडियो में ये बाबा साहब रोते हुए नजर आ रहे थे।वो अपनी कठिनाई के बारे में बता रहे थे। उनके अनुसार दिनभर काम करके कई बार तो सौ रूपये की भी कमाई नहीं हो पाती थी। उसके बाद यूट्यूबर ने उनके खाने की क्वालिटी के बारे में बताया। अब हम इस वीडियो का तो क्या ही वर्णन करें। आप खुद ही उनके चैनल पर जाकर देख लीजिए।



(Photo From: Dna India)
 फिर हुआ ये कि अचानक देशभर में वीडियो वायरल हो गया।आम लोगों से लेकर खास लोगों तक, सभी नें बाबा के लिए संवेदना व्यक्त की। यथा संभव बाबा की मदद की कोशिश की गई। बाबा के ढाबे पर भीड भी बढ गई। देश के सभी बडे मीडिया हाउसेस ने इस घटना को कवर किया। बाबा को बडे पैमाने पर आर्थिक मदद हुई। लेकिन इस में थोडा पेंच फंस गया। यूट्यूबर ने बाबा की मदद करने के लिए न केवल वीडियो बनाया था, बल्कि मदद के रूप  में आ रहे पैसों के 'मैनेजमेंट' में भी मदद की। मैनेजमेंट से हमारा मतलब है कि उसने बाबा के पैसे बैंक में जमा कराने में सहायता की। जो पैसे मदद के लिए यूट्यूबर के खाते में आए थे, उनको चैक के रूप में बाबा को दिया। कुल मिलाकर बाबा का उस समय यह मानना था कि ये यूट्यूबर भगवान के दूत बनकर आए और बाबा की जिंदगी बदल दी। लेकिन अभी कुछ समय पहले मामला अचानक बदल गया। बाबा ने इस यूट्यूबर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है कि इसको मदद के नाम पर पच्चीस लाख रुपये मिले थे लेकिन यूट्यूबर नें धोखाधडी करते हुए रकम डकार ली। इस बारे में अपनी सफाई देते हुए इन यूट्यूबर भाईसाब ने अपना बैंक स्टेटमैंट दिखाया और बताया कि उन्होने कोई धोखाधडी नहीं की। उन्होने केवल सच्ची नियत से बाबा की मदद की है।अब चूंकि मामला पुलिस तक पहुंचना बताया जा रहा है, इसलिए यह जांच का बिषय है कि वास्तव में धोखाधडी हुई या नहीं हुई। लेकिन बाबा को जब मदद की जरूरत थी, तब से लेकर बाबा की मदद होने के बाद तक में उनके एटीट्यूड में बहुत बदलाव आ गया। आसान भाषा में कहें तो बाबा की बातों में अकड सी दिखाई देने लगी है। देशभर के लोग इस बारे में अपनी राय दे रहें है, कि बाबा 'दूसरे रानू मंडल' बन गया। जिसने उसकी मदद की, उसी के खिलाफ शिकायत कर दी। खैर बाबा सही हैं या नहीं, यह तो जांच के बाद पता चल ही जाएगा। लेकिन जिस तरह बाबा का रवैया बदला है, वह हमें निराश करता है।

(Photo From: The Print)

रानू मंडल हो या बाबा का ढाबा। दोनों में ही यह देखने में आया है कि पहलेे कठिनाई से गुजरने के बाद भी जब मदद मिली, तो इस मिली हुई मदद ने उनका रवैया बदल दिया। हो सकता है कि उनका वास्तविक रवैया यही हो, लेकिन कठिनाई और गरीबी के समय वो इस रवैये को उजागर नहीं कर पा रहे हों, लेकिन जैसे ही उनको पैसा और प्रसिद्धि मिलते ही उनका वास्तविक रवैया सामने आ गया हो।किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि पैसा आदमी के स्वभाव को बदलता नहीं है, बल्कि उसके वास्तविक रवैये को कई गुना बढाकर सामने ले आता है। अगर कोई आदमी अच्छा है, तो उसकी अच्छाई कई गुना बढ जाती है, और अगर उसमें बुराई है, तो उसकी बुराई कईं गुना बढकर सामने आ जाती है।इसका एक कारण यह भी हो सकता है की अभावों के चलते वो अपने जीवनयापन में ही अधिकांश समय गुजार देता है। ऐसे में उसके पास पर्याप्त समय और संसाधन नहीं होते होंगे कि वो अपने अंदर की असलियत (अच्छाई या बुराई) को दिखाने के लिए हरकत कर सकें। पैसे, पावर आने पर उनके पास समय और संसाधन आ जाते हैं, और वो अपने वास्तविक स्वरूप में सामने आ जाते हैं।


(डिस्क्लेमर- घटनाओं के बारें में जानकारी अलग अलग मीडिया हाउसेज के द्वारा की हुई कवरेज, और इंटरनेट के माध्यम से जुटाई गई है। लेख में दी हुई राय हमारी निजी राय है, और इसका उद्देश्य नकारात्मक नहीं है। फोटोज को इंटरनेट से लिया गया है)

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