Friday, September 1, 2017

बदलाव

बहुत पहले टेलिविजन पर एक सीरियल आता था 'शक्तिमान'।

मेरा विचार है कि लगभग सभी पाठक लोग उससे परिचित होंगे।
उस सीरियल में शक्तिमान का बुराई से लड़ने का फार्मूला यह था कि बुराई से लड़ने के साथ अच्छाई को फैलाओ। पाप का 'प्रतिकार' करो। जब अच्छाई लोगों में आएगी तो वो बुराई से दूर होंगे, पाप कम करेंगे औऱ सत्य की जीत हो जाएगी।

यह सिर्फ कल्पना पर आधारित सीरियल था लेकिन इसमें एक सीख है जो मुझे अच्छी लगी।
वो यह कि किसी बुरी शक्ति से लड़ने के लिए उसका 'प्रतिकार' करो और साथ साथ सत्य के पक्ष में खड़े होने के लिए लोगों को आत्मनिर्भर बनाओ।
आज जो लगभग हर दूसरे-तीसरे व्यक्ति या समूह के द्वारा कहा जाता है कि कोई बुरी शक्ति हमारे समुदाय, सँस्कृति या सभ्यता को तोड़ रही है या विदेशी शक्तियां भारतवर्ष के लोगों में ही भारत के खिलाफ विचारधारा फैला रही हैं, उसमे हम सामान्यतः 'प्रत्युत्तर' देने के बजाय 'प्रतिक्रिया' देने लगते हैं। अगर हमें वाकई ऐसी शक्तियों से लड़ना और जीतना है तो हमे भारत के प्रत्येक व्यक्ति में विशेषकर बच्चों में अच्छाई भरनी होगी। ये अच्छाई अनेक रूपों में हो सकती है जैसे अपनी संस्कृति की सभी अच्छी बातों को उन्हें बताना ताकि उन्हें पता चले कि हमारी संस्कृति, किसी भी संस्कृति से अच्छी है और वो दूसरी संस्कृति विशेषकर पाश्चात्य संस्कृति की तरफ आकर्षित न हों। या फिर उन्हें यह शिक्षा देना कि किसी भी अनाधिकृत और अंजान व्यक्ति की बातों में न आएं। या उन्हें यह बताना कि किसी 'बाबा' को अपना भगवान बनाने के बजाय ईश्वर को पूजो औऱ कर्म को अपना उद्देश्य बनाओ। उन्हें भारतबर्ष के गौरवपूर्ण इतिहास को बताना। उन्हें यह बताना कि वाणी में शुद्धता रखो और सदैव गरिमापूर्ण शब्दों का प्रयोग करो। उन्हें छोटी छोटी बातों को मुद्दा बनाकर अपनी ऊर्जा खर्च करने के बजाय उसे देश औऱ स्वयं के विकास में लगाने की शिक्षा देना। उन्हें ऐसी शिक्षा देना कि रोजगार के लिए उन्हें भटकना न पड़े और बेरोजगारी के चलते गलत कदम न उठाएं।  उन्हें निराश न होने की 'प्रेरणा' (भाषण नही) देना। उन्हें इतना आत्मबल अर्जित करने में सहयोग करो कि वो किसी भी गलत विचारधारा  की तरफ आकर्षित न हों बल्कि स्वयं भला बुरा सोच सकने की क्षमता रख सकें। शुरुआत स्वयं से करनी पड़ेगी। हो सकता है कि हमे खुद को बदलने में कई बर्ष लग जाएं। मैंने स्वयं को बदलने की कोशिश की है। और मुझे स्वयं पर पूरा भरोसा है कि मैं किसी भी गलत विचारधारा के पक्ष में खड़े होकर देश को बुरा नही कहूंगा।
अगर हम ऐसा करने में सफल हुए तो हमे जरूरत नही पड़ेगी किसी भी बुरी शक्ति के प्रति प्रतिक्रिया देने की क्योकि यह स्वयं में एक प्रत्युत्तर होगी।

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