Sunday, November 29, 2020

कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन का नया पैंतरा

 बर्ष 2019 में कोरोना के पहले ज्ञात केस से लेकर आज (30 नवंबर 2020) Worldmeter वेबसाईट के अनुसार दुनियाभर कोरोना वायरस के 6 करोड से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। इसमें 14 लाख से ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं। यह ज्ञात आंकडा है। वास्तविक आंकडा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।

कोरोना वायरस का पहला केस 2019 में चीन के वुहान शहर में दर्ज किया गया था। मार्च 2020 आते आते यह लगभग पूरी दुनिया में फैल गया था। अप्रैल-जून तक के समय में दुनियाभर में यह संकट अपने उच्चतम शिखर पर था। दुनियाभर की लगभग सभी बडी अर्थव्यवस्थाएं काफी हद तक बंद हो चुकी थी। लगभग सभी बडे देशों में लॉकडाउन लगाया गया था। इससे अर्थव्यवस्था गिरने लगी थी। लाखों लोगों के लिए रोजगार का संकट खडा हो गया। करोडों लोगों को जीवन यापन के लिए संघर्ष करना पडा। लाखों मौतें हुई। इतने भारी नुकसान के बाद भी अधिकांश देश चीन को उत्तरदायी ठहराने से बचते रहे। हालांकि अमेरिका ने चीन को इसका जिम्मेदार माना। विभिन्न राजनैतिक, कूटनीतिक कारणों के चलते विभन्न देशों की सरकारों का भले ही इस बारे में कुछ भी रवैया रहा हो, लेकिन अगर बात आमजन की करें, तो दुनिया भर के लोग चीन को ही इसका दोषी मान रहे हैं। जब भी कोरोना वायरस का नाम आता है, तो लोग चीन के बारे में बुरा भला कहते हैं। उनकी भावनाएं जायज है। उन्होने बहुत कुछ खोया है, तो प्रतिक्रिया तो देंगे ही। चीन की सरकार इससे से तिलमिलाई हुई है। वो समय समय पर ऐसे पैंतरे अपनाते रहे हैं जिससे  कोरोना वायरस का लगा यह दाग उनके सर से छुपाया जा सके। इसके लिए कभी वो सैन्य हरकतें करते हैं, तो कभी आर्थिक-व्यवसायिक पैंतरे अपनाते हैं। अपनी कूटनीतिक चालों को चलते हुए वो अनेकों छोटे देशों को अपना निशाना बना चुके हैं। ऐसे में एशिया में एक ही उभरती हुई महाशक्ति है, जो उनके लिए चुनौती बन सकती है। वह है भारत। ऐसे में वो भारत के खिलाफ नीतियों से भी नहीं चूकते। 

हाल ही में चीन के वैज्ञानिकों ने नया दावा किया है। डेली मेल में 27 नवंबर को प्रकाशित एक लेख  के अनुसार चीनी शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति संभवतया भारत में हुई है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति को अपने देश में होने के आरोप से बचने के लिए उन्होने ऐसा किया है। चाईनीज एकेडमी ऑफ साईंसेज की एक टीम ने यह दावा किया है कि बर्ष 2019 की गर्मियों में भारत में पानी की भारी किल्लत हुई। इसके चलते जानवरों और मनुष्यों का संपर्क बढा। इससे संभवतया यह वायरस जानवरों से मनुष्यों में आय़ा। उनके दावों के अनुसार भारत में कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते, और अधिकांश युवा आबादी के होने से इसका पता नहीं लगाया जा सका। फिर यह विभिन्न माध्यमों से बाहर के देशों में गया। उनका दावा है कि भारत और बंग्लादेश में इसका संचरण हुआ क्योंकि यहां पर आबादी घनत्व अत्यधिक है। डेली मेल के लेख में बंग्लादेश, यूएसए, भारत, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, चेक रिपब्लिक, रूस और सर्बिया के नामों का भी उल्लेख है।

Glasgow University में Viral Genomics and Bioinformatics के हैड प्रोफेसर डेविड रॉबर्टसन ने इसे ‘बहुत त्रुटिपूर्ण’ कहा है। उन्होने यह भी कहा कि यह रिसर्च पेपर, कोरोना के बारे में जानकारी में कुछ भी नया नहीं बताता है। उनके अनुसार यह रिपोर्ट Biased अर्थात पक्षपातपूर्ण है। भारत में मीडिया हाउससेज, इसके बारे में कोई खास रिपोर्टिंग नहीं कर रहे हैं।

चीन का यह प्रयास , संभवतया इस उद्देश्य से रहा होगा कि आज से कईं साल बाद जब लोग कोरना वायरस महामारी के बारे में पढें, या बात करें तो सारा दोष सिर्फ चीन पर न जाए। आज के समय में भी दुनिया का ध्यान इस बात से हटाने के लिए चीन हरसंभव प्रयास कर रहा है। इसी कडी में कभी वह अपने पडौसी देशों के साथ सैन्य उलझनें तैयार करता है, तो कभी वह अपनी स्टेट मीडिया के जरिए ऐसी खबरें फैलाने का प्रयास करता है जिससे लोगों का ध्यान इससे हटे। यह अब भारतीय उपमहाद्वीप के आम लोगों पर निर्भर करता है कि वो इस बारे में अपनी क्या राय बनाते हैं। आम लोगों की राय ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, और इसको ही प्रभावित करने का प्रयास चीन के द्वारा निरंतर किया जाता रहा है। 

आप अपनी राय बताएं कि आप इस बारें में क्या विचार रखते हैं


(डिस्क्लेमर- यहां लेख में दी हुई जानकारी विभिन्न मीडिया श्रोतों से ली गई है। लेख में दी हुई राय लेखक की निजी है। इसका उद्देश्य नकारात्मक बिल्कुल नहीं है।ः

2 comments:

  1. सच तो यहीं हैं कि कोरोना चीन से ही आया हैं

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  2. भविष्य प्रतिद्वंद्वी देशों में परस्पर छवि खराब करना छद्मयुद्ध का एक नया रूप होने वाला है। चीन जैसे देश प्रत्यक्ष युद्ध की बजाय मानसिक युद्ध को ज्यादा कारगर मानते हैं। यही तरीका वे ताइवान के साथ अपना रहे हैं। ऐसे में भारत को भी समझ लेना चाहिए कि उसे ऐसे चालबाज और द्वेषपूर्ण पड़ोसियों के बीच अपना मजबूत अस्तित्व बनाये रखने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक और कूटनीतिक रणनीति अपनानी होंगी।
    कोविड महामारी में हमने देख लिया है कि विज्ञान, सूचनाओं पर नियंत्रण और स्वास्थ्य सुविधाएं भी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए अतिमहत्वपूर्ण हैं। अतः भारत को किसी भी क्षेत्र में चाहे वह सीमा हो, अंतरिक्ष हो या सूचनाएं प्रौद्योगिकी हो, चीन या अन्य देश को स्वयं पर हावी नहीं होने देना है। 21 वीं सदी में सबसे शक्ति सूचनाओं पर नियंत्रण की क्षमता होगी।

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