‘लॉकडाउन गया है वायरस नहीं’
कोरोनाकाल के दौरान आज प्रधानमंत्रीजी का संबोधन था। इससे पहले के संबोधनों में प्रधानमंत्री ने कईं बिशेष घोषणाएं की थी, किन्तु इस बार प्रधानमंत्री का संबोधन कुछ अलग रहा। इस बार उन्होने लोगों की लापरवाही पर अपनी चिंता व्यक्त की और लोगों से सावधान रहने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री के द्वारा इस तरह की चिंता व्यक्त करना हम सब के लिए बडा संदेश है। यह एक ऐसा बिषय है जिसमें राजनीति और राजनैतिक हितों को परे रखकर, जनहित में विचार करना चाहिए। ऐसे में हम सब की जिम्मेदारी है कि प्रधानमंत्री के इस संबोधन और चिंता को गंभीरता से लेते हुए, न केवल स्वयं को जागृत करें, अपितु जनजागरण का भी प्रयास करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में प्रति 10 लाख पर संक्रमण के आंक़डे साढे पांच हचार मामले सामने आ रहे हैं जबकि अमेरिका-ब्राजील जैसे देशों में आंकड़ा 25 हजार के आसपास है। भारत में प्रति दस लाख पर मृत्यु दर 83 है जबकि अनेको देशो में में आंकड़ा 600 के पार है। देश में 12000 कोरेन्टाईन सेंटर है। लेकिन यह समय लापरवाह होने का नहीं है। यह समय यह मानने का नहीं है कि कोरोना चला गया या अब कोरोना से कोई खतरा नहीं है। हाल ही के दिनों में मीडिया-सोशल मीडिया रिपोर्ट्स में देखा गया है कि लोगों ने सावधानी बरतना बंद कर दिया है, या बिल्कुल ही ढिलाई बरत रहे हैं। अगर आप लापरवाही बरत रहें हैं, और आप बिना मास्क के बाहर निकल रहे हैं, तो आप न केवल स्वयं को बल्कि अपने परिवार, बुजुर्ग, बच्चों को भी संकट में डाल रहे हैं। अमेरिका और यूरोप में कोरोना के मामले कम हो रहे थे, लेकिन अब फिर से बढने लगे हैं।
‘ लॉकडाउन भले चला गया हो, लेकिन वायरस अभी नहीं गया है।’
उन्होने कबीरदास जी के दोहे का उदाहरण दिया
‘पाकि खेती देखकर, गर्व किया किसान।
अभी झोला(संकट) बहुत है, घर आवे तब जान॥’
अर्थात जब संकट पूरी तरह टल जाए तभी निश्चिंत होना चाहिए।
रामचरितमानस में लिखा गया है कि
‘रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।’
अर्थात- शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को छोटा नहीं समझना चाहिए।
‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’
प्रधानमंत्री का यह चेतावनी देना कुछ लोगों के लिए राजनैतिक हो सकता है, कुछ लोग इसे गंभीरता से लेने से बच भी सकते हैं लेकिन यह हम सब के लिए आवश्यक है कि हम सावधानी रखकर न केवल स्वयं को बचाए, बल्कि अपने परिजनों को भी बचाएं।
‘छोटी सी लापरवाही हमारी खुशियों को धूमिल कर सकती हैं।’
यह बातें तो प्रधानमंत्री के संबोधन की थी, किन्तु आम व्यक्ति के तौर पर हमें अपनी जिम्मेदारियों को टालना नहीं चाहिए। ये जिम्मेदारियां हमारे ऊपर भार नहीं है, इन्हे बोझ नहीं समझना चाहिए। यह तो हमारे लिए आवश्यकता है। जिस तरह हम जलने से बचने के लिए आग से सावधानी रखते हैं, सर्दी से बचने के लिए ऊनी वस्त्र पहनते हैं, पेट के संक्रमण से बचने के लिए शुद्ध जल पीने का प्रयास करते हैं, उसी तरह हमारे लिए आवश्यक है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए नियमित हाथ धोएं, मास्क लगाएं, एवं अन्य सावधानियों का ध्यान रखें।
No comments:
Post a Comment