Wednesday, August 18, 2021

पांचाली ललकार सुनाओ

 पांचाली ललकार सुनाओ 

दुशासनों को स्वयं मिटाओ


चक्रधारी भी आज मौन है,

रखवाला भी आज कौन है।

सभा सदों ने चुप्पी साधी,

सभासदों की नींव हिलाओ।।

पांचाली ललकार सुनाओ।

दुशासनों को स्वयं मिटाओ।।


राजसिंहासन नेत्रहीन है,

धर्मराज भी तेजहीन है।

अर्जुन की है तरकश खाली,

अर्जुन को अहसास कराओ।।

पांचाली ललकार सुनाओ।

दुशासनों को स्वयं मिटाओ।।


द्रोणगुरू की शिक्षा चुप है,

कृपाचार्य की दीक्षा चुप है।

भीष्म-विदुर की नीति रोती,

भीष्म-विदुर को याद दिलाओ।।

पांचाली ललकार सुनाओ।

दुशासनों को स्वयं मिटाओ।।



-सौम्य

(SAUMY MITTAL

RESEARCH SCHOLAR, UNIVERSITY OF RAJASTHAN)

7 comments:

  1. आप ही अद्भुत हो तो आपके द्वारा रचित कविता तो होगी ही

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  2. अद्भुत कविता

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  3. Bahut badhiya mittal ji

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  4. Ye modi ke liye sahi hia

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