पांचाली ललकार सुनाओ
दुशासनों को स्वयं मिटाओ
चक्रधारी भी आज मौन है,
रखवाला भी आज कौन है।
सभा सदों ने चुप्पी साधी,
सभासदों की नींव हिलाओ।।
पांचाली ललकार सुनाओ।
दुशासनों को स्वयं मिटाओ।।
राजसिंहासन नेत्रहीन है,
धर्मराज भी तेजहीन है।
अर्जुन की है तरकश खाली,
अर्जुन को अहसास कराओ।।
पांचाली ललकार सुनाओ।
दुशासनों को स्वयं मिटाओ।।
द्रोणगुरू की शिक्षा चुप है,
कृपाचार्य की दीक्षा चुप है।
भीष्म-विदुर की नीति रोती,
भीष्म-विदुर को याद दिलाओ।।
पांचाली ललकार सुनाओ।
दुशासनों को स्वयं मिटाओ।।
वाह अद्भुद
ReplyDeleteNice brother ❣️❣️
ReplyDeleteA one
ReplyDeleteआप ही अद्भुत हो तो आपके द्वारा रचित कविता तो होगी ही
ReplyDeleteअद्भुत कविता
ReplyDeleteBahut badhiya mittal ji
ReplyDeleteYe modi ke liye sahi hia
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