Tuesday, June 1, 2021

जगो! जगो! हे भाग्य विधाता! हे भारत के मतदाता

जगो! जगो! हे भाग्य विधाता! 

जगो! जगो! हे भाग्य विधाता
हे भारत के मतदाता ।

संकट-कंटक बडा विकट है
गिरोह गिद्ध का खडा निकट है
राजनीति का सियार समूह भी
नोच नोच कर लाशें खाता
जगो! जगो! हे भाग्य विधाता
हे भारत के मतदाता ।


परमारथ का पहन मुखौटा
प्रतिनिधि बनकर झूठा-मूठा
राजधर्म की यज्ञ वेदी पर
अपराधों का रक्त चढाता
जगो! जगो! हे भाग्य विधाता
हे भारत के मतदाता ।

बगुले जैसा स्वांग रचाकर
परजीवी सा घातक बनकर
सहानुभूति के चक्र जाल में
मछुआरे की तरह फंसाता
जगो! जगो! हे भाग्य विधाता
हे भारत के मतदाता ।

करदाता के रथ पर चलता
पथ में आते उन्हे कुचलता
अर्थी को फिर कांधा देकर
मरघट से भी कफन चुराता
जगो! जगो! हे भाग्य विधाता
हे भारत के मतदाता ।

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