Tuesday, February 11, 2020

नकारात्मकता

जब नकारात्मकता और खालीपन हावी हो जाता है तो हर चीज में कमियां ढूंढने का और शिकायतें करने का नशा सा हो जाता है।
ऐसे में व्यक्ति सम्पूर्ण समाज से विपरीत चलता है औऱ समाज में किंचित मात्र भी सकारात्मक योगदान देने के स्थान पर निंदाएँ कर-कर के स्वयं के खालीपन को भरने का भरपूर प्रयत्न करता है। निंदा नही करने पर हालत ऐसी ही जाती है जैसे किसी नशा करने वाले को वांछित नशा नही मिला हो।
दलीलें तो मिल जाती हैं, लेकिन मानसिक शांति नही मिल पाती। प्रतिक्षण नए तर्क-वितर्क-तथ्य खोजने में सम्पूर्ण ऊर्जा और समय नष्ट होता जाता है औऱ अंततः अशांति ही हाथ आती है।
" 'बलशाली से जीतने के लिए 'महाबलशाली', 'खाली' से जीतने के लिए 'महखाली', और ' मूर्ख' से जीतने के लिए व्यक्ति को 'महामूर्ख' बनना पड़ता है।"

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