Monday, May 26, 2025

कावेरी इंजन - भारत का स्वदेशी फाईटर जेट इंजन

 सारांश-

 किसी भी देश की सुरक्षा के लिए वर्तमान में फाईटर जेट अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में चर्चा की गई है कि फाईटर जेट के लिए इंजन का क्या महत्व है। कौन-कौन से देश, अपना स्वयं का इंजन बना सकते हैं। भारत की फाईटर जेट निर्माण क्षमता का संक्षिप्त परिचय और भारत के स्वदेशी फाईटर जेट के सपने के बारे में चर्चा की गई है। कावेरी इंजन की आवश्यकता और वर्तमान में कावेरी इंजन को फंडिंग के लिए #fundkaveriengine की मांग पर भी प्रकाश डाला गया है।

परिचय -

फाईटर जेट या फाईटर एयर क्राफ्ट  एक विशेष प्रकार के वायुयान होते हैं जिनका निर्माण हवा से हवा में प्रहार, युद्द, हवा से जमीन पर आक्रमण तथा विशेष परिस्थिति में तीव्र गति से परिवहन के लिए किया जाता है। फाईटर जेट, किसी भी देश के सुरक्षा का महत्वपूर्ण भाग होते हैं। पहला ऑपरेशनल फाईटर जेट Messerchmitt Me 262 था जो नाजी जर्मनी द्वारा बनाया गया था जिसने पहली उडान 18 अप्रेल 1941 को जेट इंजन की सहायता से भरी थी तथा 18 जुलाई 1941 को जेट इंजन की सहायता से भरी थी। हालांकि इस से पहले भी वायुयान का प्रयोग युद्ध आदि में किया जाता था जिसमें शत्रु की जासूसी किया जाना प्रमुख रूप से सम्मिलित था। बाद में विशेष उद्देश्यों के लिए फाईटर जेट बनाए गए जो भिन्न भिन्न परिस्थितियों में कार्य करने के लिए विशेष रूप से डिजायन किए जाते थे। समय के साथ-साथ बहुत से देशों ने अपने-अपने स्तर पर फाईटर जेट का निर्माण शुरू किया। जो देश स्वयं फाईटर जेट नहीं बना सके, उन्होने प्रयास किया कि वो दूसरे देशों से फाईटर जेट का आयात करें। डिफेंस इंड्स्ट्री में इसका बडा योगदान रहा है। किसी भी फाईटर जेट का ह्रदय (दिल), उसका इंजन होता है। बिना शक्तिशाली इंजन के, फाईटर जेट बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं रह जाता। समय के साथ अनेकों देशों नें फाईटर जेट तो डिजायन किए लेकिन शक्तिशाली जेट इंजन नहीं बना पाए। ऐसे में फाईटर जेट बनाने के बाद भी इनको इंजन के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पडा। भारत ने भी अपने स्वदेशी फाईटर जेट निर्मित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया लेकिन इंजन बनाने में पर्याप्त सफलता नहीं मिल पाई और शत प्रतिशत स्वदेशी फाईटर जेट बनाने का सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया। भारत ने कावेरी इंजन बनाने के लिए GTRE GTX-35VS Kaveri प्रोजेक्ट DRDO के माध्यम से प्रारंभ किया लेकिन मनचाही सफलता नहीं मिल पाई।

फाईटर जेट निर्माता राष्ट्र-

फाईटर जेट इंजन का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है। इसके निर्माण में बहुत धन, शोध और समय लगता है। कुछ देशों ने फाईटर 
1. संयुक्त राज्य अमेरिका
2. यूनाईटेड किंगडम
3. फ्रांस
4. चीन
5. रूस
6. यूक्रेन ( सोवियत संघ के समय का एक इंजन बनाए जाना के दावा)
7. जापान
8. ताईवान

भारत ने फाईटर जेट इंजन बनाने के लिए प्रयासरत है लेकिन आवश्यकतानुसार शक्तिशाली इंजन बनाए जाने में अभी समय है। इस कारण भारत को अभी दूसरे देशों से फाईटर जेट इंजन आयात करने पर निर्भर रहना पडता है।

स्वदेशी फाईटर जेट इंजन की आवश्यकता-

हालांकि फाईटर जेट निर्माण में भारत ने काफी सफलता प्राप्त की है। भारत ने दूसरे देशों के साथ काम करते हुए भारतीय रक्षा उपकरणों का निर्माण किया है। तेजस भारत की Aeronautical Development Agency (ADA) द्वारा डिजायन किया गया तथा Hindustan Aeronautics Limited (HAL) द्वारा बनाया गया है। सार्वजनिक रिपोर्ट्स के अनुसार इसमें General Electric F 404  का प्रयोग किया गया जो अमेरिका द्वारा बनाया गया है। हमारे पास जो भी फाईटर जेट हैं, वो या तो विदेश से आयातित हैं या उनका एक भाग विदेश में निर्मित है। इंजन पर अभी हम दूसरे देशों पर निर्भर हैं। 
भारत एक शांतिप्रिय देश है लेकिन भारत के पडोस में ऐसे देश है जो या तो आतंकवाद या विस्तारवाद के साथ काम करते हुए भारत की अखंडता और सुरक्षा को चुनौती देते आए हैं। भारत पूर्व में कईं युद्ध लड चुका है और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर #Operation_Sindoor के माध्यम से आतंकवाद पर कार्रवाही भी कर चुका है। ऐसे में शंका यह उत्पन्न होती है कि अगर कभी भारत को फिर से युद्ध  जैसी परिस्थिति से जूझना पडे तो भारत को फाईटर जेट के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पडेगा। इसके लिए बहुत पैसा बहाना पडेगा और साथ में निर्यातक देशों की मनमानी को भी झेलना पडेगा। अपने स्वार्थ के लिए ये देश अगर किसी समय पर आकर अचानक से फाईटर जेट या इंजन की आपूर्ति के लिए मना कर देंगे तो भारत की सुरक्षा को चुनौती उत्पन्न होगी। ऐसे में आवश्यक है कि भारत पूर्णतः स्वेदेशी फाईटर जेट बनाए जिसमें इंजन भी भारतीय हो।

कावेरी इंजन-

यह भारत के एक प्रोजक्ट का हिस्सा है जिसमें भारत का प्रयास है पूर्णतः स्वदेशी इंजन बनाया जाना। इसके लिए 80 के दशक से प्रयास प्रारंभ हो गए लेकिन पूर्ण सफलता अभी तक नहीं मिल पाई। इसके बारे में विस्तारपूर्व https://en.wikipedia.org/wiki/GTRE_GTX-35VS_Kaveri  पर जानकारी उपलब्ध है।


वर्तमान में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीयों को स्वदेशी इंजन की आवश्यकता महसूस हुई। इसके संबंध में वो सरकार से लगातार मांग कर रहे हैं कि कावेरी इंजन के लिए फंडिंग की जाए। सार्वजनिक मीडिया स्रोतों की माना जाए तो अभी तक भारत ने इस  इंजन के विकास पर आधा बिलियन डॉलर पैसा भी खर्च नहीं किया है। हांलांकि वास्तविक आंकडे भिन्न हो सकते हैं जो सरकार को ही अच्छे से पता होंगे।
लोगों की मांग है कि भारत सरकार विभन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से बहुत पैसा खर्च करती है। अनेको योजनाओं के माध्यम से हजारों करोड रुपये वितरित करती है, ऐसे में कावेरी इंजन पर पैसा खर्च किया जाना भी आवश्यक है, ताकि भारत वास्तविकता में आत्मनिर्भर हो सके। इसके लिए सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से लगातार मांग की जा रही है।

निष्कर्ष-

पूर्ण स्वदेशी इंजन आज के समय पर भारत के लिए जरूरी है। अतः सरकार को जनभावना को समझते हुए इस संबंध में प्रयास करने चाहिए। नागरिकों को भी अपनी  भावना को सरकार तक पहुंचाना चाहिए ताकि इस संबंध में प्रयास किए जा सकें।

स्रोत- 

Saumy Mittal
Ph.D. Scholar
University of Rajasthtan

Saturday, May 24, 2025

सरकारी शिक्षण संस्थानों में सुविधाएँ: दिखावा या हक़ीकत?

 जब भी दुनिया भर के टॉप शिक्षण संस्थानों की चर्चा होती है अथवा विश्व की टॉप 50 यूनिवर्सिटीज की सूची देखी जाती है तो भारत के शिक्षण संस्थानों का नाम उस सूची में देखने के लिए कष्ट का सामना करना पडता है। PIB India  के 09 नवंबर 2024 के पोस्ट1 के अनुसार  QS World University Rankings: Asia 2025 में दुनिया की प्रमुख 50 संस्थानों में केवल IIT Delhi और IIT Bombay ही सम्मिलित हैं। जबकि प्रमुख 20 संस्थानों की सूची देखी जाए तो एक भी भारतीय संस्थान नहीं है। दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र और दुनिया की सबसे बडी अर्थव्यव्थाओं में से एक, दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी बनाने वाले देश में उच्च शिक्षा का यह स्तर न केवल चिंताजनक है, बल्कि गंभीर विचारणीय भी है। Quality concerns in higher education in India 2 के अनुसार भारत के संस्थानों में मूलभूत सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य सेवा, प्ले ग्राउंड, शौचालय, पुस्तकालय, प्रयोगशाला (लैब्स) आदि तक विद्यार्थियों की पहुंच भी नहीं हो पाती है। उपलब्ध संसाधनों तक विद्यार्थियों की पहुंच को बलपूर्वक रोका जाना भी इसकी बडी वजह है।

कल्पना कीजिए, एक सरकारी कॉलेज में नया स्मार्ट क्लासरूम बना है। दीवारों पर चमकदार पोस्टर लगे हैं, प्रोजेक्टर और कंप्यूटर नए-नए चमक रहे हैं। लेकिन जैसे ही कोई छात्र वहाँ जाने की कोशिश करता है, चपरासी सख़्ती से रोक देता है— "साहब ने मना किया है, खराब हो जाएगा!"

यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि देश के सैकड़ों सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की सच्चाई है। जिन सुविधाओं का बजट छात्रों के नाम पर पास होता है, वे या तो कागज़ों में रह जाती हैं, या फिर ताले में बंद कर दी जाती हैं।


"संभालकर रखने" की मानसिकता

कई संस्थानों में लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब या स्पोर्ट्स इक्विपमेंट सिर्फ़ निरीक्षण के दिन दिखाने के लिए होते हैं।  Analyzing the Culture of Corruption in Indian Higher Education 3  के अनुसार निरीक्षणकर्ताओं को श्रद्धानुसार अमाउंट दिया जाता है। अनेकों बार निरीक्षण के दौरान कृत्रिम तरीके से भवनों, लैब्स या अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिखाया जाता है तो अनेको बार पूरी तरह भिन्न भवन का निरीक्षण करवा दिया जाता है।
निरीक्षण काल के बीत जाने पर सुविधाओं का प्रयोग नही करने देने जाने को लेकर अधिकारियों का तर्क होता है:

·        "छात्र गंदा कर देंगे!"

·        "मशीनें खराब हो जाएँगी!"

·        "हमें मेन्टेनेंस का झंझट उठाना पड़ेगा!"

सवाल यह है— अगर ये सुविधाएँ छात्रों के लिए नहीं हैं, तो फिर बनाई क्यों गईंक्या सरकारी पैसे का उद्देश्य सिर्फ़ "दिखावे की शिक्षा" देना है?


भ्रष्टाचार का खेल

कहीं-कहीं तो हालात और भी भयावह हैं। फंड का एक बड़ा हिस्सा कमीशन खाने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में चला जाता है। नतीजा?

·        खराब गुणवत्ता वाले उपकरण जो कुछ ही दिनों में बंद पड़ जाते हैं।

·        छात्रों को दोष देना जब वे इनका उपयोग करने की माँग करते हैं।

·        निरीक्षण समितियों के द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार

Indian Express में 2 फरबरी 2025 को प्रकाशित एक समाचार के अनुसार NAAC निरीक्षण समिति में भ्रष्टाचार के मामले में कमेटी चेयरमैन और एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर समेत 10 लोगों पर कार्रवाही की गई।


अधिकारियों की सुविधाजनक दुनिया

जबकि छात्र टूटी कुर्सियों पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं, अधिकारी एयर-कंडीशंड कमरों में बैठकर फाइलें खिसकाते रहते हैं। उनकी प्राथमिकता होती है:

1.    पेंशन सुरक्षित रखना

2.    ऊपरवालों को खुश रखना

3.    छात्रों की शिकायतों को दबाना

शिक्षा का उद्देश्य? वह तो सिर्फ़ फाइलों में एक "लक्ष्य" बनकर रह जाता है।


क्या हो सकता है समाधान?

1.    छात्रों के द्वारा मांग किए जाने पर उनके नियमों की पालना के नाम पर अनुचित दबाब बनाकर चुप कराए जाने की परम्परा को बंद किया जाना चाहिए।

2.    सोशल मीडिया दबाव: ट्विटर, एमएचआरडी (शिक्षा मंत्रालय) के हैंडल्स पर शिकायतें वायरल करें।

3.    जनता की निगरानी: मीडिया और स्थानीय नेताओं को ऐसे मामलों पर सवाल उठाने होंगे।

4.    डिजिटल लॉग: हर सुविधा का उपयोग रियल-टाइम ट्रैक हो, ताकि दुरुपयोग रोका जा सके।


निष्कर्ष: शिक्षा सिर्फ़ भवन नहीं, संसाधनों का सदुपयोग है

जब तक अधिकारी यह नहीं समझेंगे कि सुविधाएँ बनाने का मतलब सिर्फ़ "इनॉग्युरेशन फोटो" लेना नहीं, बल्कि उन्हें चलाना भी है, तब तक सरकारी शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आएगी। छात्रों को चाहिए कि वे "हमारा हक़" माँगने से कभी न हिचकिचाएँ।

आख़िरकार, जिन संस्थानों में आज छात्रों को बैठने की जगह नहीं मिलती, वहाँ कल देश का भविष्य कैसे बैठेगा?

References

     1.    https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2072018

     2.    Srinivas, R. (2023). Quality concerns in higher education in India. IRE Journals, 6(8), 69–72. ( Link - https://www.irejournals.com/formatedpaper/1704083.pdf )

      3.    Tierney, W. G., & Sabharwal, N. S. (2016). Analyzing the culture of corruption in Indian higher education. International Higher Education, (87), 6–7. https://doi.org/10.6017/ihe.2016.87.9495 (Research Gate link -   https://www.researchgate.net/publication/313422033_Analyzing_the_Culture_of_Corruption_in_Indian_Higher_Education  )

     4.    https://www.qs.com/insights/articles/rankings-released-qs-world-university-rankings-asia-2025/  

      5.  https://indianexpress.com/article/india/naac-inspection-committee-chairman-jnu-professor-cbi-corruption-case-held-9813073/

        6. https://www.thehindu.com/news/national/karnataka/naac-bribery-case-university-debarred-for-five-years-from-accreditation-peer-team-debarred-for-life-from-naac-activities/article69196424.ece

        7.  https://en.wikipedia.org/wiki/NAAC_rating_bribery_case  

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-        -Saumy Mittal

        (Reseach Scholar, University of Rajasthan)

कावेरी इंजन - भारत का स्वदेशी फाईटर जेट इंजन

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